मैंने सुना है
दुनिया की तमाम मांएं
मरकर चिड़िया हो जाती हैं
बनाती हैं घोंसले
अपने घर के पास किसी वृक्ष
या घर के रोशनदान में
सुबह-सुबह शोर मचाकर सदा की तरह
जगाती है अपनी संतानों को
भरी दोपहरी मुंडेर या छत पर बैठकर
देती हैं कुछ-कुछ हिदायतें
जिन्हें हमेशा की तरह
हम अनसुनी कर जाते हैं
दाना-पानी न डालो इन्हें
तो शिकायत नहीं करतीं
मेरी वाली एक नन्ही चिड़िया
हर रात मेरे कंधों पर बैठ जाती है
जब भी मैं होता हूं दर्द
या गहरे अवसाद में
दबी जुबान से कानो में कुछ कहती है
मैं उसकी भाषा नहीं पहचानता
पहचानता लेता हूं उसकी आंखें
और आंखों में झांकती चिंता
मैं आहिस्ता से उसके कानों में
फुसफुसाता हूं - मां
वह आहिस्ता से पंख फड़फड़ाती है
आहिस्ता से कहती है - चूं
और आहिस्ता से ही
मैं गहरी नींद में डूब जाता हूं !
दुनिया की तमाम मांएं
मरकर चिड़िया हो जाती हैं
बनाती हैं घोंसले
अपने घर के पास किसी वृक्ष
या घर के रोशनदान में
सुबह-सुबह शोर मचाकर सदा की तरह
जगाती है अपनी संतानों को
भरी दोपहरी मुंडेर या छत पर बैठकर
देती हैं कुछ-कुछ हिदायतें
जिन्हें हमेशा की तरह
हम अनसुनी कर जाते हैं
दाना-पानी न डालो इन्हें
तो शिकायत नहीं करतीं
मेरी वाली एक नन्ही चिड़िया
हर रात मेरे कंधों पर बैठ जाती है
जब भी मैं होता हूं दर्द
या गहरे अवसाद में
दबी जुबान से कानो में कुछ कहती है
मैं उसकी भाषा नहीं पहचानता
पहचानता लेता हूं उसकी आंखें
और आंखों में झांकती चिंता
मैं आहिस्ता से उसके कानों में
फुसफुसाता हूं - मां
वह आहिस्ता से पंख फड़फड़ाती है
आहिस्ता से कहती है - चूं
और आहिस्ता से ही
मैं गहरी नींद में डूब जाता हूं !
http://bulletinofblog.blogspot.in/2017/05/blog-post_60.html
जवाब देंहटाएंग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है
जवाब देंहटाएंBahut khub
जवाब देंहटाएंVery nice www.bhartiyashilp.com
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